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अनुच्छेद 12 - राज्य की परिभाषा Article 12 - Definition Of State

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  अनुच्छेद 12 - राज्य की परिभाषा Article 12 - Definition Of State   भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो मूल अधिकारों के अध्याय के तहत आता है।  यह अनुच्छेद मौलिक अधिकारों (भाग III) के संदर्भ में‌ राज्य की परिभाषा से संबंधित है और यह निर्धारित करता है कि "राज्य" शब्द का अर्थ किन-किन संस्थाओं को शामिल करता है जिन पर मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 12 के अनुसार, राज्य में निम्नलिखित शामिल हैं: 1. भारत की सरकार और संसद। 2. किसी राज्य की सरकार और विधानमंडल। 3. भारत या उसके किसी भाग के भीतर स्थित सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण। जैसे -स्थानीय और अन्य प्राधिकरण: स्थानीय प्राधिकरणों में पंचायत, नगर निगम, नगर पालिका आदि आते हैं। अन्य प्राधिकरण में वे निकाय आते हैं जो राज्य के अधीन कार्य करते हैं, जैसे सार्वजनिक निगम, सरकारी एजेंसियां, और कभी-कभी वे निजी संस्थाएं जो सरकारी कार्यों में लगी होती हैं। इस अनुच्छेद का महत्व :- यह परिभाषा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14, 19, 21 आदि) केवल "राज्य" द्वारा किए गए उल्लंघनों के ...

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 Article 11 Of The Indian Constitution

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  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 Article 11 Of The Indian Constitution ✔अनुच्छेद 11 भारतीय संसद को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह नागरिकता से संबंधित सभी मामलों पर कानून बना सके।  ✔यह संविधान के भाग II में वर्णित नागरिकता से जुड़े अनुच्छेदों (5 से 10) का पूरक है  ✔संसद को नागरिकता से संबंधित विस्तृत प्रावधानों को तैयार करने का अधिकार देता है। ✔अनुच्छेद 11 संसद को असीमित शक्ति प्रदान करता है, जो कभी-कभी विवादास्पद हो सकती है, जैसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019। अनुच्छेद 11 कहता है: "संसद को यह शक्ति होगी कि वह नागरिकता के विषय में किसी भी प्रकार का प्रावधान करने के लिए कानून बनाए, जिसमें नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं।" इसका अर्थ यह निकलता है कि संविधान में केवल नागरिकता के मूलभूत सिद्धांत तय किए हैं, लेकिन इनका विस्तृत नियमन संसद द्वारा किए जाने के लिए छोड़ा दिया गया है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10: नागरिकता का निरंतर अधिकार Article 10 Of The Indian Constitution: Continuous Right Of Citizenship

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  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10: नागरिकता का निरंतर अधिकार   Article 10 Of The Indian Constitution: Continuous Right Of Citizenship  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 10 यह कहता है कि किसी व्यक्ति को, जो इस भाग के उपबंधों के अनुसार भारत का नागरिक है, तब तक भारत का नागरिक माना जाएगा जब तक कि संसद द्वारा बनाए गए किसी विधि के अधीन ऐसा कुछ अन्यथा उपबंधित न किया गया हो। जैसे:-  ✅यह अनुच्छेद यह निश्चित करता है कि जो व्यक्ति भारत का नागरिक है, वह तब तक नागरिक बना रहेगा, जब तक कि संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा उसकी नागरिकता को समाप्त नहीं किया जाता।   ✅यह अनुच्छेद अनुच्छेद 5 से 9 में वर्णित नागरिकता के प्रावधानों को लागू करने के लिए स्थायित्व प्रदान करता है।      ✅अनुच्छेद 10 का उद्देश्य नागरिकता के अधिकार की सुरक्षा प्रदान करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि इसे केवल संवैधानिक या विधिक प्रक्रिया के माध्यम से ही बदला जा सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत का नागरिक कौन होगा, यह तय करने का अधिकार केवल संसद के पास है। 

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9 -भारत की नागरिकता और विदेश की नागरिकता के बीच संबंध Article 9 Of The Indian Constitution -Relation Between Citizenship Of IndiaAand Citizenship Of A Foreign Country

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  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9 -भारत की नागरिकता और विदेश की नागरिकता के बीच संबंध  Article 9 Of The Indian Constitution -Relation Between Citizenship Of IndiaAand Citizenship Of A Foreign Country   यह अनुच्छेद उन व्यक्तियों के लिए है जिन्होंने विदेशी नागरिकता ग्रहण कर ली है। अनुच्छेद 9 की कुछ महत्वपूर्ण बातें। 1. यदि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक है और उसने स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लेता है, तो उसे भारतीय नागरिकता का अधिकार वंचित कर दिया जाएगा। 2. इसका अर्थ यह है कि उसे व्यक्ति को भारत की और विदेश की नागरिकता एक साथ नहीं रखी जा सकती (भारत में "दोहरी नागरिकता" की अनुमति नहीं है)। 3. इस अनुच्छेद का उद्देश्य यह है कि नागरिक केवल एक देश के प्रति अपनी निष्ठा बनाएं रख सकता है । जैसे- अगर कोई भारतीय नागरिक ऑस्ट्रेलिया जाकर वहां की नागरिकता ग्रहण कर लेता है, तो वह व्यक्ति भारतीय नागरिकता का दावा नहीं कर सकता।  

अनुच्छेद 7 स्वतंत्रता के बाद भारत में वापस लौटे प्रवासियों से संबंध Article 7 Relation To Emigrants Who Returned To India After Independence

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अनुच्छेद 7 स्वतंत्रता के बाद भारत में वापस लौटे प्रवासियों से संबंध Article 7 Relation To Emigrants Who Returned To India After Independence ✅भारतीय संविधान में अनुच्छेद 7 स्वतंत्रता के बाद भारत में वापस लौटे प्रवासियों से संबंधित है। जैसे :1 मार्च 1947 के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे और बाद में वापस भारत आए। ✅अनुच्छेद 7 उन व्यक्तियों के बारे में प्रावधान करता है जो 1 मार्च 1947 के बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे, उन्हें भारतीय नागरिक नहीं माना गया। ✅यदि ऐसा व्यक्ति भारत लौट आया और सरकार द्वारा विधिक रूप से उसकी वापसी को स्वीकार कर लिया हो तो वह व्यक्ति नागरिकता के लिए पात्र हो सकता है।   इस स्थिति में व्यक्ति को भारत में स्थायी रूप से बसने का अधिकार प्राप्त होगा। ✅यह अनुच्छेद विभाजन के बाद उत्पन्न नागरिकता संबंधी जटिलताओं को सुलझाने के लिए शामिल किया गया था।   ✅अनुच्छेद 7 का उद्देश्य निम्न प्रकार से है। 1. भारत की नागरिकता नीति को स्पष्ट करना।   2. विभाजन के समय उत्पन्न प्रवास और नागरिकता के मुद्दों को संबोधित करना।   3. अनुच्छेद 7 सुन...

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 :- नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्र सीमाओं या नाम में परिवर्तन Article 3 Of The Indian Constitution:- Creation Of New States And Alteration Of The Territorial Limits Or Name Of Existing States.

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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 :- नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्र सीमाओं या नाम में परिवर्तन Article 3 Of The Indian Constitution:- Creation Of New States And Alteration Of The Territorial Limits Or Name Of Existing States. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह भारत के राज्यों और संघीय क्षेत्रों के पुनर्गठन, सीमाओं में परिवर्तन, या नए राज्यों के गठन से संबंधित कानून बना सके। यह प्रावधान भारतीय संघ की क्षेत्रीय अखंडता और लचीलापन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।   अनुच्छेद 3 की मुख्य विशेषताएँ:  1. नए राज्यों का निर्माण: संसद किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों के साथ मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य कें भाग के साथ मिलाकर नए राज्यों का निर्माण सकती है।   2. राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन: राज्यों की सीमाओं को घटाने या बढ़ाने का प्रावधान है  3. राज्यों के नाम में परिवर्तन: किसी राज्य का नाम बदला जा सकता है।  4. संसद का अधिकार: यह प्रक्रिया संस...

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1. Article 1. of The Indian Constitution

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  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1. Article 1. of The Indian Constitution भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 भारत को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में परिभाषित करता है और देश के क्षेत्रीय ढांचे को स्पष्ट करता है।  राज्य पुनर्गठन और अनुच्छेद 1 संविधान में राज्यों की सीमाओं और नामों को बदलने का प्रावधान है (अनुच्छेद 3 के तहत)।   1956 का राज्य पुनर्गठन अधिनियम और उसके बाद नए राज्यों का गठन (जैसे, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना) अनुच्छेद 1 की व्यावहारिकता को दर्शाते हैं।   इस अनुच्छेद में तीन मुख्य प्रावधान हैं 1.भारत का नाम :-  अनुच्छेद 1(1) के अनुसार, "भारत, अर्थात् इंडिया, राज्यों का संघ होगा।"   भारत को "इंडिया" और "भारत" दोनों नामों से मान्यता दी गई है।  "इंडिया" नाम ब्रिटिश शासन और अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में प्रचलित हुआ।  "भारत" नाम प्राचीन सांस्कृतिक और सभ्यतागत पहचान से जुड़ा है। 2023-24 में "इंडिया" को बदलकर केवल "भारत" करने की मांगें भी चर्चा में रही हैं।   2. राज्य और क्षेत्र :-  भारत को एक "राज्यों का संघ" (Union of...