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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 Article 11 Of The Indian Constitution

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  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 11 Article 11 Of The Indian Constitution ✔अनुच्छेद 11 भारतीय संसद को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह नागरिकता से संबंधित सभी मामलों पर कानून बना सके।  ✔यह संविधान के भाग II में वर्णित नागरिकता से जुड़े अनुच्छेदों (5 से 10) का पूरक है  ✔संसद को नागरिकता से संबंधित विस्तृत प्रावधानों को तैयार करने का अधिकार देता है। ✔अनुच्छेद 11 संसद को असीमित शक्ति प्रदान करता है, जो कभी-कभी विवादास्पद हो सकती है, जैसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019। अनुच्छेद 11 कहता है: "संसद को यह शक्ति होगी कि वह नागरिकता के विषय में किसी भी प्रकार का प्रावधान करने के लिए कानून बनाए, जिसमें नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं।" इसका अर्थ यह निकलता है कि संविधान में केवल नागरिकता के मूलभूत सिद्धांत तय किए हैं, लेकिन इनका विस्तृत नियमन संसद द्वारा किए जाने के लिए छोड़ा दिया गया है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9 -भारत की नागरिकता और विदेश की नागरिकता के बीच संबंध Article 9 Of The Indian Constitution -Relation Between Citizenship Of IndiaAand Citizenship Of A Foreign Country

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  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 9 -भारत की नागरिकता और विदेश की नागरिकता के बीच संबंध  Article 9 Of The Indian Constitution -Relation Between Citizenship Of IndiaAand Citizenship Of A Foreign Country   यह अनुच्छेद उन व्यक्तियों के लिए है जिन्होंने विदेशी नागरिकता ग्रहण कर ली है। अनुच्छेद 9 की कुछ महत्वपूर्ण बातें। 1. यदि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक है और उसने स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लेता है, तो उसे भारतीय नागरिकता का अधिकार वंचित कर दिया जाएगा। 2. इसका अर्थ यह है कि उसे व्यक्ति को भारत की और विदेश की नागरिकता एक साथ नहीं रखी जा सकती (भारत में "दोहरी नागरिकता" की अनुमति नहीं है)। 3. इस अनुच्छेद का उद्देश्य यह है कि नागरिक केवल एक देश के प्रति अपनी निष्ठा बनाएं रख सकता है । जैसे- अगर कोई भारतीय नागरिक ऑस्ट्रेलिया जाकर वहां की नागरिकता ग्रहण कर लेता है, तो वह व्यक्ति भारतीय नागरिकता का दावा नहीं कर सकता।